Saturday, 22 November 2014

सिवालखास में शिक्षा का प्रसार मेरा लक्ष्य


मैंने पूरा बचपन सिवालखास में बिताया। मेरी शिक्षा से लेकर तमाम संस्कार सिवालखास में ही संपन्न हुआ। इस मिट्टी से मेरी ढेरों सुखद यादें जुड़ी हैं, जहां से मैं पला हूं... बढ़ा हूं... लेकिन अब तमन्ना है इस मिट्टी को और यहां के भाई-बहनों-बड़ों-माताओं को वो भुगतान करने की, जिसका आज तक कर्जदार रहा हूं। जहां से मैंने शिक्षा की बुनियाद सिखी है, उस सिवालखास में एक भी बच्चा अनपढ़ और अच्छी शिक्षा से अछूता नहीं रहेगा, इसका प्रण लेता हूं। सिवालखास की माताओं, बहनों, भाइयों, बुजुर्गों से निवेदन है कि आप मुझे इस नेक कार्य में आशीर्वाद दें। मैं निःस्वार्थ होकर यहां की शिक्षा व्यवस्था को राष्ट्रीय स्तर के तौर पर बनाना चाहता हूं, जहां हमारे सिवालखास के बच्चे लगनशील होकर पढ़-लिख पाएंगे, जहां अभिभावकों को कम आय होने के कारण निराश नही होना पड़ेगा। मैं हर तौर पर सिवालखास के साथ खड़ा हूं... आइए दो कदम चलें। निःस्वार्थ भाव से... एक नए सिवालखास का निर्माण करें...

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